सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

ज्योतिषियों के चक्कर में फंसी मुंडा सरकार

रांची: अर्जुन मुंडा सरकार ज्योतिषियों के चक्कर में फंस गयी है या अपने ही जाल में उलझ गई है-इन्हीं दो पहलुओं के बीच इस सरकार की नैया डगमगा रही है. मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा का कहना है कि वे इस बार कोई 'रिस्क' नहीं लेना चाहते हैं, इस लिए वे  ज्योतिषियों से मिले और आगामी आठ तारीख़ को उनकी सलाह पर वे मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे. दकियानूसी का इससे बड़ा उदाहरण  भारतीय राजनीति में  कहीं नहीं मिलेगा.
         लोग प्रश्न करने लगे हैं कि क्या अर्जुन मुंडा अपनी सरकार की सलामती के लिए कोई राज ज्योतिषी तो नियुक्त नहीं करेंगे. क्या अर्जुन मुंडा मंत्रिमंडल की बैठक की तिथियाँ भी ज्योतिषियों की सलाह पर निर्धारित करेंगे. वस्तुतः ज्योतिषीय सलाह के नाम पर अर्जुन मुंडा ज्यादा से ज्यादा समय चाहते हैं, ताकि वे अपने जहाज से उड़ते-भागते विधायकों को सहेज सकें और कम से कम पांच दस माह राज सुख  भोग सकें. वे  समय चाहते हैं ताकि शिबू सोरेन और उनके पुत्र हेमंत सोरेन को भी पटरी पर ला सकें. रह-रह कर शिबू सोरेन का ह्रदय मुख्यमंत्री बनने के लिए लालायित होने लगता है. जदयू भी विद्रोह के मूड में है तो आजसू में भी कम उठा-पटक नहीं चल रही है.  आजसू सुप्रिमो सुदेश महतो के लिए अपने कुनबे को सम्हालना मुश्किल   हो गया है. 
         हाल में संविधान का हवाला देते हुए राज्यपाल एमओएच फारूख ने मुख्यमंत्री  को पत्र लिख कर कहा है कि वे आठ तारीख़ तक अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर लें. लेकिन हालात कहते हैं कि मुंडा अपने मंत्रिमंडल का शायद ही विस्तार कर पाएं. भाजपा के आरएसएसवादी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने मुंडा विरोधी रघुवर दास के पर जिस तरह कतरने की कोशिश की है, उसका परिणाम पार्टी को भुगतना ही पडेगा. आरएसएस से भाजपा में आये नेता भी गैर आरएसएसवादी अर्जुन मुंडा के बढ़ते कद और प्रभाव  को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. 

-जिया

           

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