बुधवार, 29 सितंबर 2010

अर्जुन मुंडा सरकार के पतन की संभावना प्रबल

रांची: मंत्रिमंडल विस्तार के पहले ही अर्जुन मुंडा की सरकार के पतन की संभावना प्रबल हो गई है.
         जिस स्वार्थ और उद्देश्य से इस सरकार का गठन हुआ था, वे  भी समाप्त हो गए हैं. कोड़ा कांड से सम्बंधित जिन साक्ष्यों और फाइलों की मुंडा को तलाश थीं, वे  अब सीबीआई के पास पहुँच गईं हैं. भाजपा और झामुमो के अलावा आजसू में भी हताश छाई हुई है. ज्ञातब्य है की सिबू सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने न्यायालय में आवेदन दे कर कहा था कि  कोड़ा कांड में  सीबीआई जाँच की जरूरत नहीं है. लेकिन राष्ट्रपति  शासन में कोड़ा कांड की जाँच सीबीआई से शुरू हो गई. जिस भाजपा ने विधान सभा चुनाव के समय कोड़ा कांड की सीबीआई से जाँच की मांग की थी, उसी ने इस कांड की  सीबीआई जांच को रोकने के लिए न्यायालय तक को सोरेन शासन में आवेदन दिया.    
           इतना ही नहीं भाजपा और झामुमो मंत्रियों के नाम भी तय नहीं कर पा रहे हैं, तो ऐसे में  विभाग बांटने की बात ही बेमानी हो गई है. भाजपा में दरकिनार कर दिए गए रघुबर दास और मुंडा से खार खाए सरयू राय ने मुंडा और मधु कोड़ा के कामन मित्रों के खिलाफ अपना अभियान  तेज कर दिया है. सरयू राय ने मधु कोड़ा के निकट सहयोगी विनोद सिन्हा के खिलाफ एक ऋण घोटाले से सम्बंधित मामले पर मुकदमा भी दर्ज कराया है.
          झामुमो में पारिवारिक विवाद भी तेज हो गया है. सिबू न तो अपने पुत्र हेमंत सोरेन से खुश  हैं और न स्वर्गीय दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन से. इधर मंत्रियों के नाम तय करने के मामले में सिबू सोरेन और हेमंत सोरेन के बीच भी विवाद हो गया है. सिबू सोरेन घोषणा कर रहे हैं कि वे स्वयं मंत्रिओं के नाम तय करेंगे. लेकिन  मंत्रियों के नामों की दूसरी सूची   हेमंत सोरेन तैयार कर रहे हैं. 

        अर्जुन मुंडा  रघुवर दास के समर्थक विधायकों को अगर मंत्रिमंडल से दरकिनार करते हैं  तो, भाजपा में विवाद अपने चरम पर पहुँच जाएगा और रघुवर दास मीडिया के सहयोग से अर्जुन मुंडा की पोल खोलना शुरू कर देंगें. ऐसा  पोल खोला कार्यक्रम पहले भी दास और मुंडा खेल चुके हैं. झारखण्ड की राजनीति में गडकरी के द्वारा प्रताड़ित होने के बाद रघुवर दास लालकृष्ण आडवानी की शरण में बैठे हैं  और उनके दरबार में उनको भरपूर सहयोग मिल रहा है. लालकृष्ण   अडवाणी  मुंडा सरकार के गठन के औचित्य पर सवाल उठा रहे हैं और इस मामले पर पार्टी के कई बड़े नेता उनके साथ हैं. भाजपा के सभी बड़े नेताओं को किनारे कर गडकरी ने मुंडा को सरकार बनाने की अनुमति दे दी. सुषमा  स्वराज तो इस मामले पर बहुत ही खफा हैं. अगर किसी तरह अर्जुन मुंडा मंत्रिमंडल का विस्तार कर भी लेते हैं तब भी उनकी सरकार की उम्र बढ़ती हुई नजर नहीं आती है.
-जिया जैदी

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